प्रकृति व मानवता के संरक्षण पर ब्याख्यान पर जब मैँ तृतीय विश्वयुद्ध की संभावनाओँ को व्यक्त करता हूँ तो कुछ शिष्य कहते हैँ कि युद्ध की जरुरत भी क्या है ? मैँ कहता हूँ कि आप लोगों को आपस मेँ झगड़ने की क्या जरुरत है?
प्राणियों मेँ सर्वश्रेष्ठ यदि मानव है तो सबसे निकृष्ट भी मानव ही है . सत्तावादी होश मेँ नहीँ आ सकते तो क्या जनता के नियंत्रक व ठेकेदार भी क्या अपना होश गँवा चुके हैँ ? जनता क्या सम्भावित युद्ध के कारणोँ के खिलाफ आन्दोलन के लिए क्या अपनी कमर नहीँ कस सकती ?अन्ना हजारे जैसे समाजसेवियोँ को क्या दक्षेस की जनता को निशस्त्रीकरण व युद्ध के खिलाफ बातावरण बनाने मेँ अपना योगदान
नहीँ कर सकते ? चीन , पाक ,आदि देश की जनता का विवेक क्या शून्य हो गया है ?
जागो , दक्षेस जागो !