गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

बसुधैव कुटुम्बकम व मानवता के बीच करुणा व अहिंसा का शस्त्र::अशोकबिन्दु

 देश का वातावरण ऐसा हो कि कोई गुंडा भी मनमानी न कर सके::महात्मा गांधी।

......................................#अशोकबिन्दु



शांति, पूर्णता, प्रेरणा, उत्साह में ही मानव की आंतरिक शक्तियां जागती हैं। किसी पर दोष मड़ते रहने, बहिष्कार करने से समाज का भला नहीं होता।वह भविष्य में समाज के विखराव का कारण ही बनता है। सभी में अच्छाइयां व बुराइयां होती हैं।समाज व मनुष्यता के लिए वही इंसान बेहतर होता है जो इंसान की अच्छाइयों को उजागर करे, उन्हें विकसित करने का अबसर दे।सुधार या शिक्षा किसी पर थोपना नहीं है वरन उसकी प्रतिभाओं को बाहर करना है।पशुमानव को मानव, मानव को देव मानव बनाना है। वैदिक काल में शिक्षा की शुरुआत 'अपनी पहचान'- के विचार व भाव ग्रहण करने के साथ होती थी कि हम व जगत के तीन स्तर हैं-स्थूल, सूक्ष्म व कारण। इस पूर्णता के आधार पर ही जीवन में सबकुछ करना पूर्णता की ओर जाना है।यही पुरुषार्थ है। जहां सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर की स्थिति पैदा होती है। जहां पर करुणा व अहिंसा ही शास्त्र व शस्त्र होता है।  बसुधैव कुटुम्बकम की दशा है। 



इतिहास युद्धों से भरा है।उसने समाधान नहीं दिया है।वरन भविष्य में अन्य युद्धों की शुरुआत दी है।किसी ने कहा है कि दो युद्धों के बीच की शुरुआत युद्ध की तैयारी होती है। अंगुलिमान को बुद्ध ही अंगुलिमान को आगामी अपराध करने से बचा सकता है।बुद्ध उसे व उस जैसे अनेक को अपने साथ लेकर उसे अपराध न करने का अबसर देते हैं।बातावरण, सहकारिता, संघ, आश्रम पद्धति, गुरुद्वारा पद्धति जीवन में अति सहायक है। महात्मा गांधी जब कहते हैं कि वातावरण ऐसा हो कि कोई गुंडा भी मन मानी न कर सके तो इसका मतलब क्या है?

#अशोकबिन्दु


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